धन जुटाना कठिन काम है. चाहे वेंचर कैपिटल, प्रायवेट इक्विटी हो या बैंकर्स से लोन लेना हो. स्थापित व्यावसायिक रेकॉर्ड रखने वाले बडे कॉर्पोरेशन के लिए धन जुटाना हमेशा आसान होता है. छोटे या मीडियम एंटरप्राइज (एसएमई) का अनुभव एक अलग ही कहानी होती है. यद्यपि हर कर्जदाता की मंजूरी का मापदंड थोडा अलग हो सकता है लेकिन मोटे तौर पर यह समान होता है. कर्जदाता की आवश्यकताओं की जानकारी के लिए पढते जाइए:
क्षमता का अर्थ है लोन चुकाने की किसी फर्म की काबिलियत.
कर्जदाता लोन आवेदन का मूल्यांकन करने के लिए सिबिल क्रेडिट रिपोर्ट्स का उपयोग करते हैं- बिजनेसेस के लिए कंपनी क्रेडिट रिपोर्ट (सीसीआर) और क्रेडिट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (सीआईआर) और व्यक्तियों के लिए क्रेडिट स्कोर. क्षमता का मूल्यांकन यह निर्धारण करके किया जाता है कि कंपनी की आय- मौजूदा और भावी- उस अतिरिक्त कर्ज की बाध्यता को कवर करने के लिए पर्याप्त होगी या नहीं जो कंपनी करना चाह रही है. कजर्दाता, कंपनी के चुकौती के इतिहास की भी समीक्षा कर्ते हैं और यह तय करते है कि क्या वह अतीत में अपनी बाध्यताओं को पूरा करने में सक्षम रहे हैं या नहीं. यह एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है जिस पर कर्ज देते समय कर्जदाता विचार करते हैं. देर से भुगतान, दोष या कर्जदाताओं द्वारा कंपनी के खिलाफ दायर मुकदमे भी लोन आवेदन की अस्वीकृति का कारण बन सकते हैं.
कोलैटरल का अर्थ है, सिक्योरिटी के स्वरूप, जो लोन के लिए आवेदन करते समय कर्जदाता को दिया जा सकता है. कोलैटरल बिजनेस इनवेंटरी, प्राप्य खातों, उपकरण, कमर्शियल वाहनों, संपत्ति या किसी अन्य भौतिक संपत्ति के रूप में हो सकता है. जब लोन आवेदन को अनेक प्रकार के कोलैटरल का आधार मिलता है तो लोन मंजूरी की संभावना अधिक रहती है.
इस संदर्भ में पूंजी का अर्थ है बिजनेस में मालिक का निवेश. लोन के लिए आवेदन करने से पहले मालिक को व्यवसाय में उल्लेखनीय रूप से निवेश करना पडता है उसके बाद ही कर्जदाता बिजनेस लोन देने पर विचार करते हैं. लोन अधिकारी, मालिक के पास मौजूदा राशि और पूंजी की गुणवत्ता को ध्यान से परखता है.
मुख्य वित्तीय अनुपात
लोन मंजूर करने से पहले कर्जदाता बिजनेस के आर्थिक स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए विभिन्न प्रकार के वित्तीय अनुपातों को देखते हैं
कुछ प्रमुख वित्तीय अनुपात नीचे सूचीबद्ध हैं:
लोन मंजूरी के लिए कुल मिलाकर कंपनी को अपनी कर्ज देयता के बढते बोझ को पूरा करने के लिए पर्याप्त नकद निर्मित करने में सक्षम होना चाहिए और साथ ही अपनी कार्यशील पूंजी की जरूरतों को समुचित रूप से पूरा करना चाहिए. सीसीआर और सीआईआर लोन मंजूरी को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण भुमिका निभाते हैं क्योंकि वे कर्जदाता को कंपनी की आर्थिक मजबूती का तथ्यपरक विवरण देते हैं.