प्रतिष्ठित संस्थान से शिक्षा लेने को महत्वपूर्ण सीढ़ी माना जाता है, जो सफल करियर के रास्ते पर ले जाता है| हालांकि, शिक्षा की लागत लगातार तेज़ी से बढ़ रही है और शिक्षा ऋण, माता-पिता और विद्यार्थियों के लिए शानदार विकल्प लगता है जिनके पास फ़ंड्स की कमी है| असल में, रुपए के सामने डॉलर के मज़बूत होने के कारण, विदेशों में शिक्षा काफ़ी हद तक महंगी भी हो गई है| यह रुझान TransUnion CIBIL के डेटा में भी दिखाई देता है, जिसमें हमने नए शुरू किए गए शिक्षा ऋण के औसत टिकट आकार में 48% वृद्धि देखी है, जो कि 2015 में 5.73 लाख रुपए से 2018 में INR 8.5 लाख रुपए तक बढ़ गया है|
अगर आप अपने बच्चे की उच्च शिक्षा हेतु फ़ायनांस करने में मदद के लिए किसी शिक्षा ऋण लेने का विचार कर रहे हैं, तो यहां कुछ बातें दी गई हैं, जिन्हें निर्णय लेने के पहले ध्यान में रखना आपके लिए ज़रूरी है:
- ऑफ़र का मूल्यांकन करें और उनकी तुलना करें: सुनिश्चित करें कि इससे पहले कि आप निर्णय करते हैं, आप एक से ज़्यादा ऋणदाताओं की जांच करें| एग्रिगेटर साइट्स से आपको विभिन्न बैंकों की ब्याज दरों की तुलना करने में मदद मिल सकती है और सबसे अच्छी दर चुनने में मदद मिल सकती है. प्रधान मंत्री विद्या लक्ष्मी योजना के तहत, सरकार विद्या लक्ष्मी पोर्टल के माध्यम से सहायता सिस्टम भी प्रदान करती है, जिससे विद्यार्थी और माता-पिता विभिन्न शिक्षा ऋण एप्लिकेशन को देख, आवेदन कर और ट्रैक कर सकते हैं| इससे आपको वह ऋण चुनने में मदद मिलेगी, जो सर्वोत्तम ब्याज दरों के साथ अनुकूल पुनर्भुगतान विकल्प ऑफ़र करता है|
- ऋण के लिए आवेदन करने के पहले ऋणदाता की संपार्श्व आवश्यकता को समझें: राशि पर निर्भर करते हुए ऋणदाता 100% ऋण प्रदान कर सकता है. RBI नियमों के अनुसार, 4 लाख तक की ऋण राशि के लिए मार्जिन मनी (सेल्फ़-फ़ायनांस) की आवश्यकता होती है| अगर आप भारत में अपने बच्चे की उच्च शिक्षा की योजना बना रहे हैं, तो 5% पैसे का सेल्फ़-फ़ायनांस और विदेश में शिक्षा के लिए मार्जिन मनी 15% है| अगर राशि 4 लाख से कम है, तो बैंक संपार्श्व संपत्ति के लिए नहीं कहते हैं| गारंटर की ज़रूरत सिर्फ़ तभी पैदा होती है, जब राशि 4 लाख रु से लेकर 7.5 लाख रु. तक हो और 7.5 लाख रु. से अधिक की फ़ंडिंग के लिए किसी संपत्ति को सुरक्षा के तौर पर बैंक के पास गिरवी रखने की ज़रूरत होती है, ताकि ऋणी द्वारा ऋण के पुनर्भुगतान में विफल होने की स्थिति में उसका उपयोग किया जा सके|
- अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखें: आमतौर पर, जब कोई बच्चा, शिक्षा ऋण के लिए आवेदन कर रहा हो, तो उनके माता-पिता या अभिभावक ‘गारंटर’ होते हैं| अगर किसी विद्यार्थी का कोई क्रेडिट इतिहास नहीं हो और ऋणदाता यह आवश्यक बनाता है कि कोई मित्र या परिवार का सदस्य, ऋण का गारंटर बने, तब भी यही बात होती है| इस तरह के मामले में, यह ज़रूरी है कि गारंटर का अच्छा क्रेडिट स्कोर हो, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऋण का आवेदन अस्वीकार नहीं किया जाए. 750+ से अधिक के क्रेडिट स्कोर से भी आवेदक को ऋणदाता से बेहतर दरें मिलने में मदद मिलती है|
- अपनी पुनर्भुगतान कार्यनीति की योजना बनाएं: हालांकि ब्याज दर, पहले महीने से ही संचित होती है, कुछ मामलों में विद्यार्थियों को ऋण राशि का भुगतान शुरू करने के पहले एक वर्ष की अनुग्रह अवधि दी जा सकती है — इसे मोरेटोरियम अवधि कहा जाता है| इस अवधि का एक लाभ यह है कि जबकि आपका बच्चा इस छूट अवधि के बाद EMI का भुगतान कर सकता है, आप पहले से EMI का पुनर्भुगतान करना शुरू कर सकते हैं और अपने बच्चे के ऋण को तेज़ी से पूरा करने में मदद कर सकते हैं|
- अतिरिक्त लाभ: शिक्षा ऋण लेने के कुछ विशेष लाभ जैसे कर संबंधी लाभ भी मिलते हैं| IT अधिनियम की धारा 80E के तहत, ऋणी ऋण के ब्याज के पूरे भाग पर कटौती का दावा कर सकता है| शिक्षा ऋण लेने से आपको सकारात्मक क्रेडिट पहचान बनाने की दिशा में भी मदद मिलती है क्योंकि अक्सर यह विद्यार्थियों द्वारा लिया गया पहला ऋण होता है|
इन बिंदुओं को ध्यान में रखें और आप किसी भी चिंता के बिना अपने बच्चे की शिक्षा के लिए योजना बना सकते हैं| शिक्षा ऋण का समय पर पुनर्भुगतान करने से भी आखिर में न सिर्फ़ आपके बच्चे की बल्कि आपके लिए भी बेहतर क्रेडिट प्रोफ़ाइल का निर्माण होगा|